May 10, 2024

निशुल्क उपचार कर संजीवनी हॉस्पिटल ने फिर बचायी गरीब रोगी की जान

रिपोर्ट–इकरार हुसैन

काशीपुर। वैष्णव जन तो उनको कहिए जो पीर पराई जाणिए। जी हां  काफी लंबे अरसे से इस कहावत को चरितार्थ करता चला आ रहा है काशीपुर का संजीवनी हॉस्पिटल। भयंकर से भयंकर रोगियों के लिए अनेक बार यह हॉस्पिटल अपने नाम के अनुरूप साक्षात संजीवनी ही  सिद्ध हुआ है।  भूखे को रोटी खिलाकर उसकी जान बचा लेना वास्तव में बहुत बड़ा पूण्य है, लेकिन किसी गरीब और असहाय  बीमार को निशुल्क दवा खिलाकर स्वस्थ कर  उसके घर भेज देना इससे भी बड़ा पूण्य है।

बाजपुर रोड पर केवीएस फैक्ट्री के पास ग्राम कुंडेश्वरा में रह रहे केहरी सिंह नामक व्यक्ति की तबीयत अत्यंत खराब थी और घरेलू हालात ऐसे लग रहे  थे कि दवाई तो कहां से आए  लगता था जैसे घर में खाना खाने तक की भी स्थिति न हो । ऐसे में जब समाजसेवी गगन कंबोज को इस बारे में पता चला तो उन्होंने तत्काल संजीवनी हॉस्पिटल के मालिकों चावला बंधुओं मुकेश चावला, मनीष चावला और राजगुंबर को इस दयनीय स्थिति के बारे में बताया तो उन्होंने मानवीय संज्ञान लेते हुए  इस मरीज को अपने यहां भर्ती कर लिया । क्योंकि यह व्यक्ति उत्तर प्रदेश का रहने वाला था और यहां अपनी बेटी के घर पर था लिहाजा  जब इसका आयुष्मान कार्ड काफी प्रयासों के बाद भी नहीं बन सका तोअंत में चावला बंधुओ ने सहृदयता दिखाइ और गरीब रोगियों के निशुल्क उपचार की मिसाल कायम करते हुए  इस  रोगी का निशुल्क उपचार करने का निर्णय लिया। अस्पताल में तैनात प्रसिद्ध फिजिशियन डॉक्टर नमिता कामरा की देखरेख में इस रोगी का उपचार चला और देखते ही देखते यह ठीक हो गया जिससे इसके तिमारदार भी खुश हो गए। चावला बंधुओ ने ठीक हो जाने पर इस मरीज को उसके परिजनों  के सुपुर्द कर उसके घर भेज दिया। चर्चाएं है कि संजीवनी हॉस्पिटल के मालिकों की यह दरिया दिली कोई नई नहीं बल्कि ऐसे अनेक  रोगी है जो पूर्णतया असहाय और गरीब थे और दवाई तो दूर रोटी तक के लाले थे मगर इंसानियत का परिचय देते हुए मुकेश चावला और उनके सहयोगियों ने उन रोगियों का निशुल्क उपचार कर उन्हें स्वास्थ लाभ देकर  चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े दूसरे लोगों के लिए भी एक नई मिसाल कायम की। उक्त रोगी को निरोगी बनाने में समाज सेवी गगन चावला का भी काफी सहयोग रहा ।उधर ठाकुरद्वारा निवासी शफीकन कहती है कि काश वह समय पर काशीपुर के संजीवनी अस्पताल में न पहुंचती तो आज जिंदा ना होती। मेरे  परिजनों के पास पैसे भी बहुत कम  थे मगर संजीवनी के संचालकों ने उसे पैसे की चिंता नहीं होने दी। मुरादाबाद के जटपुरा निवासी श्रीमती शकुंतला कहती है कि वह बाजपुर में अपने एक रिश्तेदार के यहां आई थी। काशीपुर पहुंचने पर अचानक मुझे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई ।ऐसे में पैसे भी पास नहीं थे मगर जैसे तैसे जब संजीवनी पहुंची तो उसके मालिकों का व्यवहार मेरे प्रति भगवान जैसा रहा और समय पर मेरा समुचित उपचार हुआ और मैं अपने नवजात शिशु को लेकर खुशी-खुशी  घर पहुंची। ऐसी एक नहीं अनेक घटनाएं हैं। पूछने पर संजीवन हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश चावला, मनीष चावला और राजगुंबर कहते हैं कि  यह सब मां वैष्णो देवी का आशीर्वाद है वरना हम सेवा करने वाले कौन होते हैं? सब वह शेरावाली कराती है।